दिल की खिड़की खोल
आज दिनांक २६.७.२३ को प्रदत्त स्वैच्छिक विषय पर मेरी प्रस्तुति
प्रतियोगिता वास्ते
दिल की खिड़की खोल:
उजागर कर मन के भावों को,आज द्वार हृदय के खोल,
क्यों छुपा रक्खा है दिल मे आज राज़ अपने तू खोल ।
दुनिया ये ख़ुदग़र्ज़ बहुत है विश्वास किसी पर मत करना,
मैं तेरे जीवन का साथी विश्वास मेरा जीवनभर करना ।
सदा विश्वास रखना तू मुझ पर, तेरा भला चाहता हूं,
वफ़ा सदा निभाई मैंने , प्यार में तुझसे करता हूं।
कर दरकिनार रिश्ते-नातों को आज हृदय के पट तू खोल,
क्यों छुपा रक्खा है दिल मे आज राज़ अपने तू खोल ।
मुझको ख़ुदा समझा है तूने,सदा इबादत की मेरी,
बोला करती थी तू मुझसे रहूंगी सदा बन कर चेरी।
न मैं बदला न तू बदली फ़िर क्या तो हमारे बीच आया,
बता दें तू सच्चे दिल से क्या शुबहा तेरे दिल आया ।
मन को साफ़ करले प्रिये कोई शुबहा न अपने दिल रखना,
हर दम साथ रहूंगा तेरे वादा मेरा ध्यान मे रखना।
सच्चे दिल से कसम मेरी खा और सच सच ही तू बोल
क्यों छुपा रक्खा है दिल मे आज राज़ अपने तू खोल।
आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़
Gunjan Kamal
27-Jul-2023 11:25 AM
👌👏
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Abhinav ji
27-Jul-2023 08:46 AM
Very nice 👍
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
27-Jul-2023 08:13 AM
बेहतरीन अभिव्यक्ति
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